क्या है End to End Encryption? जिसके लिए Whatsapp ने दे दी भारत छोड़ने की धमकी

End To End Encryption: सोचिए आप सुबह सोकर उठें और आपको पता चले कि आज से Whatsapp नहीं चलेगा तो आपको धक्का लग जाएगा. यह बात और है कि आप अन्य विकल्पों की तलाश में लग जाएंगे लेकिन Whatsapp की बात ही कुछ और है. इसका कारण है कि Whatsapp ने लोगों के दिल

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End To End Encryption: सोचिए आप सुबह सोकर उठें और आपको पता चले कि आज से Whatsapp नहीं चलेगा तो आपको धक्का लग जाएगा. यह बात और है कि आप अन्य विकल्पों की तलाश में लग जाएंगे लेकिन Whatsapp की बात ही कुछ और है. इसका कारण है कि Whatsapp ने लोगों के दिलों में खास जगह बना रखी है. सोशल मीडिया की हर वो जरूरत Whatsapp पूरी कर रहा है जिसके लिए आज के समय में लोग लालायित रहते हैं, चाहे वो अपनों से बात करना हो, उन्हें वीडियो कॉल करना हो, यहां तक अब तो पैसे भी इसके जरिए भेजे जा सकते हैं. लेकिन इन सबके बीच अचानक Whatsapp ने कोर्ट में धमकी दे दी कि वह भारत से चला जाएगा.

आखिर ऐसा क्या हुआ कि Whatsapp ने कोर्ट में यह सब कह दिया. असल में हुआ यह कि Whatsapp ने भारत सरकार के एक फैसले के खिलाफ कोर्ट में दस्तक दी है. Whatsapp ने कहा कि सरकार ने उसे एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन end to end encryption ब्रेक करने के लिए कहा है. अगर उसके साथ इस मामले में जबरदस्ती हुई तो वह वह भारत में अपना ऐप बंद कर देगा. इसके बाद मामला चर्चा में आ गया. ऐसे में समझ लीजिए कि end to end encryption क्या है और सरकार क्यों ऐसा करने के लिए कह रही है.

आखिर एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन क्या है? एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन (E2EE) एक सुरक्षा प्रणाली है जो डेटा को केवल भेजने वाले और प्राप्तकर्ता के लिए ही सुगम यानि कि पढ़ने लायक बनाती है. इसका मतलब है कि डेटा रास्ते में किसी भी अन्य व्यक्ति द्वारा पढ़ा या बदला नहीं जा सकता, चाहे वे हैकर, सरकार या स्वयं सेवा प्रदाता ही क्यों न हों. E2EE को आमतौर पर गणितीय एल्गोरिदम और क्रिप्टोग्राफिक कुंजी का उपयोग करके लागू किया जाता है. जब आप किसी को E2EE संदेश भेजते हैं, तो आपके डिवाइस प्राप्तकर्ता की सार्वजनिक कुंजी का उपयोग करके डेटा को एन्क्रिप्ट करते हैं. केवल प्राप्तकर्ता के डिवाइस में निजी कुंजी होती है जो डेटा को डिक्रिप्ट कर सकती है.

भारत सरकार का पॉइंट क्या है? चूंकि WhatsApp भारत में सबसे लोकप्रिय मैसेजिंग ऐप में से एक है, और यह डिफ़ॉल्ट रूप से E2EE प्रदान करता है. इसका मतलब है कि आपके द्वारा भेजे और प्राप्त किए गए सभी संदेश, कॉल और वीडियो कॉल स्वचालित रूप से एन्क्रिप्ट किए जाते हैं. इसे कोई और नहीं प्राप्त कर सकता है. सरकार की यहीं असहमति है. भारत सरकार E2EE के बारे में चिंता व्यक्त कर रही है, यह तर्क देते हुए कि यह अपराधों की जांच में बाधा डाल सकता है. सरकार ने WhatsApp को कानून प्रवर्तन एजेंसियों को संदेशों तक पहुंच प्रदान करने का एक तरीका विकसित करने का आदेश कानून के जरिए दिया है.

सरकार ऐसा क्यों चाह रही.. कानून भी बना दिया भारत सरकार द्वारा बनाए गए साल 2021 के सूचना टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस और डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) के माध्यम से सरकार ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों को अपराधों की जांच करने में मदद करने के लिए ईटीईई में बदलाव करने का आह्वान किया है. इसमें कहा गया कि सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को कानूनी अनुरोधों का पालन करने और अपराध से जुड़े संदेशों तक पहुंच प्रदान करने का निर्देश दिया गया था.

सरकार ऐसा इसलिए चाह रही है क्योंकि उसका कहना है कि फेक न्यूज और नफरत फैलाने वाली चीजों को रोकने के लिए ये जरूरी है कि कुछ चीजों को पता चल जाए. साथ ही सरकार का ये भी कहना है कि सूचना टेक्नोलॉजी कानून की धारा 87 उन्हें ये अधिकार देती है कि वो सोशल मीडिया के लिए नए नियम बना सके. इन्हीं नए नियमों में धारा 4(2) है, जो बड़ी सोशल मीडिया कंपनियों को यह जरूरी बनाता है कि वो किसी भी गलत खबर या किसी ऐसे मैसेज को फैलाने वाले की पहचान कर सकें.

WhatsApp का अपना तर्क, सरकार का अपना तर्क.. सरकार ने भी अपना तर्क मजबूती से रखा है और अब WhatsApp ने इन नियमों का विरोध किया, यह तर्क देते हुए कि वे ईटीईई को कमजोर करेंगे तो उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता को खतरे में डालेंगे. WhatsApp का लब्बोलुआब यह है कि इससे यूजर्स की गोपनीयता खतरे में आ जाएगी. यह भी एक प्रकार से सही है. इसी के खिलाफ WhatsApp कोर्ट पहुंच गया है. दिल्ली हाईकोर्ट में WhatsApp का पक्ष रख रहे अधिवक्ता तेजस करिया ने कहा कि अगर उसे end-to-end encryption of messages ब्रेक करने के लिए कहा जाता है तो वह भारत में ऐप बंद कर देगा. इसके बाद सब हैरत में पड़ गए.

अब गेंद कोर्ट के पाले में है.. फिलहाल दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 14 अगस्त के लिए निर्धारित की है. हुआ यह था कि जब सरकार ये क़ानून लेकर आई थी तो मेटा की तरफ से WhatsApp और फेसबुक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद पिछले महीने ही यह वाली याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दी थी. अब देखना होगा कि इसमें क्या होता है.

ईटीईई E2EE के कुछ और फायदे भी जान लीजिए.. गोपनीयता में सुधार: यह सुनिश्चित करता है कि आपकी निजी बातचीत और डेटा गोपनीय रहें. सुरक्षा में वृद्धि: यह आपके डेटा को अनधिकृत पहुंच से बचाता है. भरोसे में वृद्धि: यह बता सही है कि ईटीईई ऑनलाइन संचार में विश्वास को बढ़ावा देता है

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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